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बाबा रे ! / रमेश तैलंग
Kavita Kosh से
गुस्सा रहता हाथ भर ।
मैडम जी की नाक पर ।
बाबा रे ! बाबा रे !
चश्मे से हैं देखतीं ।
सबके कान उमेठतीं ।
चुप कर देती डाँट कर ।
बाबा रे ! बाबा रे !
हर दिन उनकी क्लास में-
जाना पड़ता है हमें ।
पूरा ’लैसन’ याद कर ।
बाबा रे ! बाबा रे !