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बाबा रे / सुरेश विमल
Kavita Kosh से
बाबा रे तेरी बगिया के
बड़े रसीले आम।
देख देख कर आता इनको
अपने मुंह में पानी
उकसाती है ख़ुशबू मीठी
करने को मनमानी।
एक दिवस को कर दे
बगिया हम लोगों के।
नाम ले-ले चाहे टॉफी बिस्कुट
इन आमों के बदले
कंचे ले ले, गेंदे ले-ले
ले ले सारे बल्ले।
मंडी से लाए तो देंगे,
कहो कहाँ से दाम।