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बारिश / अनामिका अनु
Kavita Kosh से
उन दिनों बारिश नमक सी हुआ
करती थी,
अब ऐसी फीकी
या
इतनी तेज़ कि ज़ायका बदल
गया ज़िन्दगी का,
पेड़ पर लटकी उन हरी जानों
ने फीका नमक चखा होगा,
उन बहती हरी लाशों
ने तेज़ नमक में जीवाणु से मरते
स्वप्नों को अलविदा कहा होगा ।