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बिछलाहा भुइयां के रेंगई-ला पूंछो झन / कोदूराम दलित

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बिछलाहा भुइयां के रेंगई-ला पूंछो झन,
कोन्हों मन बिछलथें, कोन्हों मन गरिथें ।
मउसम बहलिस, नवा-जुन्ना पानी पीके,
जूड़-सरदी के मारे कोन्हों मन मरथें ।।

कोन्हों मांछी-मारथे, कोन्हों मन खेदारथें तो,
कोन्हों धुंकी धररा के नावे सुन डरथें ।
कोन्हों-कोन्हों मन मनमेन मैं ये गुनथे के
"येसो के पानी - ह देखो काय-काय करथें" ।।