भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बिना चमत्कार प्यार / वोल्फ़ वोन्द्राचेक / उज्ज्वल भट्टाचार्य

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हमेशा सच बोलो !
और मैंने झूठ बोलना सीखा ।
हर इन्सान से प्यार करो !
और मैंने धोखा देना सीखा ।
मैं बिल्कुल नीचे था,
और मैंने उड़ना सीखा ।

मैंने प्यार किया और झूठ बोलता रहा,
मुझे उम्मीद थी और मैं धोखा देता रहा,
तड़प के मारे मैंने शीशे को पलटकर देखा,
बार-बार मैं सिर्फ़ यही चाहता रहा :
एक रात तुम्हारे साथ,
एक रात तुम्हारे साथ,
सिर्फ़ एक रात ।
कि तुमसे किसी दिन मुलाक़ात हो,
कि तुम इस दुनिया में अनोखी हो,
कि तुम्हारे लिए कोई दूसरा न हो
कोई सपना नहीं
कोई सच्चाई नहीं
कोई दौलत नहीं ।
बिना चमत्कार एक प्यार,
बिना चमत्कार प्यार !

लेकिन ज़िन्दगी की गाड़ी
बस, कुछ यूँ ही
लगातार
आगे बढ़ती गई ।

मूल जर्मन से अनुवाद : उज्ज्वल भट्टाचार्य