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बिल्ली म्याऊँ-म्याऊँ / लक्ष्मी खन्ना सुमन

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पूछ-पूछकर आती भीतर
'मैं आऊँ मैं आऊँ'
क्या कसूर है चूहो, पूछे
बिल्ली 'म्याऊँ-म्याऊँ'

मुझे हुई बदहजमी ऐसी
मांस नहीं है खाना
कहे डॉक्टर सिर्फ़ दूध से
मुझको काम चलाना

आओ-आओ प्यार तुम्हें दूँ
जी भरकर सहलाऊँ
अब मजबूरी में भी प्यारों
तुमको कभी न खाऊँ

बोले चूहे, 'बिल्ली मौसी'
मत हमको बहकाओ
दूध मलाई तब खाओ जब
चूहे पकड़ न पाओ

खूब पता है काम तुम्हारा
स्वाँग तुम्हारा जानें
दाँत तेज नाखून कटीले
हैं जाने पहचाने