भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
बिल्लो रानी / प्रकाश मनु
Kavita Kosh से
बिल्लो रानी, कहाँ चली,
कहाँ चली जी, कहाँ चली?
मैं जाऊँगी बड़े बजार,
खाऊँगी अब टिक्की चार।
सुना, वहाँ की चाट गजब है,
टिक्की का तो स्वाद अजब है।
मैं जाऊँगी झटपट-झटपट,
दूध पिऊँगी आकर झटपट।