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बिसकरमा तोला बलावत हे / चैतराम व्यास
Kavita Kosh से
तइहा के बइहा लेगे, जुन्ना जम्मों नन्दवत हे ।
अउनावा निरमान करे बर, नाना जुग ह आवत हे ।
फेर नाबा निरमान करे बर नावा जुग ह आदत हे ।
छानी म कऊंबा कांव करे
भुईया म सुरूज पांव धरे
अगनां म सोन चिरइया ग
सिरजन गीत सुनावत हे ।
बारी बखरी लट लट फुलगे
अमरइया के किसमत खुलगे
डोली म मेहनत के गंगा ह
लहर लहर लहरावत हे
खुलगे कारखाने बड़े बड़े
विज्ञान मदद बर हवे खड़े
आडर पाके करिया बादर ह
अमरित रस बरसावत हे ।
जांगर देवता खोलव आंखी
उजियारी खुद देही साखी
सुख सपना संसार घरे
बिसरकरमा तोला बलावत हे
अउ नवा निरमान करे बर
नवा जुग ह आवत हे ।