बिसरही गीत / विद्यापति
कोन मास नागपञ्चमी भेल
राम घरे-घरे बिसहरि पूजा लेल
काहुक घर बिसहरि दूध लाबा लेल
राम कहुक घर बिसहरि खीर भोजन लेल
भगता घर बिसहरि दूध लाबा लेल
राम सेबक घर बिसहरि खीर भोजन लेल
सावन मास नागपञ्चमी भेल
राम घर-घर बिसहरि पूजा लेल
जोरा छागर देब दन्त पान
राम बनहि देब घरबा करु विश्राम
बेलपत्र हरियर अरहुल लाल
राम चम्पा फूल फूलय माँ के
गला ग्रिमहार
पहीर ओढि मईया फड गेली ठाढि
राम सूर्यक ज्योति मलीन इड जाय
भनहि विद्यापति बिसहरि माय
राम सब दिन सब ठाय रहब सहाय
पीयर अंचला बिसहरि के लाम्बी-लाम्बी केस
राम अही बाहे जेती बिसहरि तरहुत देस
आंहु के सिंगार बिसहरि लाबा-दूध
राम हमर सिंगार अछि गोदी भरि पूत
तेल दे तेलिया भाई
दीप दे कुम्हार
राम बाती दे रे पटबा भैय
लेसब प्रहलाद
लागल दिया दयकि गेल बाती
राम खेलड लगली बिसहरि माय चारु पहर राति
भनहिं विद्यापति सुनु हे महेश
राम गौरी दाय के पांचो बेटी
हरथि कलेश