भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बींठ (3) / सत्यनारायण सोनी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

 
यह जो सजाई
मिठाई की दुकान बच्चों ने
भांति-भांति का रूप लिए
सज गए-
मींगणे-मींगणियां,
गधलेडे-लीद।
पर कौन माने इनको विष्टा,
ये तो गुलाबजामुन-बूंदी, चमचम-हलवा।
देखा तो,
मुंह में पानी भर आया।

2005