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बीच हमारे कुछ दूरी है / वर्षा सिंह
Kavita Kosh से
बीच हमारे कुछ दूरी है ।
शायद उसकी मजबूरी है ।
संवादों से लगे पराया
दिल ही दिल में मंज़ूरी है ।
मन बहकाए, तन बहकाए
गंध प्यार की कस्तूरी है ।
जब-जब बरसी प्यार की 'वर्षा'
भीगी ये दुनिया पूरी है ।