भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मेरा नाम राजू घराना अनाम / शैलेन्द्र

Kavita Kosh से
(बुझ गये ग़म की हवा से / दाग़ से पुनर्निर्देशित)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मेरा नाम राजू घराना अनाम
बहती है गंगा जहाँ मेरा धाम
मेरा नाम राजू ...

काम नये नित गीत बनाना
गीत बना के जहां को सुनाना
कोई न मिले तो अकेले में गाना
कविराज कहे, न ये ताज रहे
न ये राज रहे, न ये राजघराना
प्रीत और प्रीत का गीत रहे
कभी लूट सका न कोई ये खज़ाना
मेरा नाम राजू ...

धूल का इक बादल अलबेला
निकला हूँ अपने सफ़र में अकेला
छुप-छुप देखूँ मैं दुनिया का मेला
काहे मान करे, अभिमान करे
नादान तुझे इक दिन तो है जाना
डफ़ली उठा आवाज़ मिला
गा मिल के मेरे संग प्रेम तराना
मेरा नाम राजू ...