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बुढ़ापा / सुशीला सुक्खु
Kavita Kosh से
उम्र का अजीब पड़ाव
जिसमें
एकाकी जीवन असम्भव है
सहानुभूति, सहारा की हमदर्दी और
सहारे की
अधिक जरूरत
जो इस अवस्था के
अँधेरों से घिरे जीवन में
उजली किरण बन
जीवन के अन्तिम दिनों को
सुखद जगमगाहट देती
वृद्धावस्था वरदान है
अभिशाप नहीं।