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बुढ़ापे की तअल्लियाँ / नज़ीर अकबराबादी

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जो नौजवां हैं उनके दिल में गुमान क्या है।
जो हम में कस<ref>शक्ति, ताकत</ref> है उनमें ताबो तुबान<ref>शक्ति, सामर्थ्य</ref> क्या है।
बूढ़ा अधेड़ अमका ढमका फलान क्या है।
हमसे जो हो मुक़ाबिल पट्ठे में जान क्या है।
अब भी हमारे आगे यारो! जवान क्या है॥1॥

हर वक़्त दिल हमाा मुग्दर ही भानता है।
तीर अब तलक हमारा तूदे<ref>ढेर</ref> ही छानता है।
हर शोख़<ref>चंचल, प्रियपात्र</ref> गुल बदन<ref>फूल जैसे मुख वाला, वाली</ref> से गहरी ही छानता है।
इस बात को हमारी अल्लाह ही जानता है।
अब भी हमारे आगे यारो! जवान क्या है॥2॥

चाहें तो घूर<ref>टकटकी लगाकर देखना</ref> डालें सौ खू़बरू<ref>सुन्दर, सुन्दरियां</ref> को दम में।
और मेले छान मारें वह ज़ोर है क़दम में।
सीना फड़क रहा है खूबां<ref>सुन्दर, सुन्दरी</ref> के दर्दो ग़म में।
पट्ठों<ref>जवान, युवा</ref> में वह कहां है जो गर्मियां हैं हम में।
अब भी हमारे आगे यारो! जवान क्या है॥3॥

दुबले हुए हैं हम तो खूंबा<ref>सुन्दरियों</ref> के दर्दो ग़म से।
और झुर्रियां पड़ी हैं उनके ग़मो अलम से।
मूछें सफे़द की हैं इस हिज्र<ref>जुदाई</ref> के सितम से।
बूढ़ा हमें न जानो अल्लाह के करम से।
अब भी हमारे आगे यारो! जवान क्या है॥4॥

कोई भी बाल तन पर मेरे नहीं है काला।
खूंबां के दर्दो ग़म का उन पर पड़ा है पाला<ref>हिमपात, तुषारपात</ref>।
आकर जवां मुक़ाबिल होवे कोई हमारा।
ख़ालिक से है यक़ीं यह दिखलाए वह भी पीछा।
अब भी हमारे आगे यारो! जवान क्या है॥5॥

ऐ यार! सौ बरस की हुई अपनी उम्र आकर।
और झुर्रियां पड़ी हैं सारे बदन के ऊपर।
दिखलाते जिस घड़ी हैं मैदाँ में ज़ोर जाकर।
रुस्तम<ref>ईरान का एक प्राचीन योद्धा और प्रसिद्ध पहलवान</ref> को भी समझते अपने नहीं बराबर।
अब भी हमारे आगे यारो! जवान क्या है॥6॥

हम और जवान मिलकर दिल के तई लगावें।
और अपने-अपने गुल<ref>फूल, प्रिय पात्र</ref> से मिलने की दिल में लावें।
जाकर उन्हो के घर पर जब ज़ोर आजमावें।
वह गर दिवाल कूदें हम कोठा फांदा जावें।
अब भी हमारे आगे यारो! जवान क्या है॥7॥

जाते हैं रोज़ जितनी खूंबा<ref>सुन्दर, सुन्दरियों</ref> की बस्तियां हैं।
हर आन<ref>हर समय</ref> दीद बाजी<ref>नज़र लड़ाना, घूरना, ताक झांक करना</ref> और बुत परस्तियां<ref>बुतों की इबादत, माशूकों की इबादत, प्रिय पात्रों की पूजा</ref> हैं।
सौ सौ तरह की चुहलें जी में उकस्तियां<ref>पैदा होना, उकसना</ref> हैं।
क्या जोश भर रहे हैं क्या ऐश मस्तियां हैं।
अब भी हमारे आगे यारो! जवान क्या है॥8॥

दुनियां में ताक़त अपनी मशहूर इस क़दर है।
कूंचों में और मकां में देखो जिधर उधर है।
जंगल में हाथी चीता या कोई शेर नर है।
हर एक के दिल में अपना ही ख़ौफ और ख़तर है।
अब भी हमारे आगे यारो! जवान क्या है॥9॥

करते हैं हम जो यारो! अब धूम और धड़ाके।
देखें जवां तो उनके छुट जायें दम में छक्के।
पीते हैं मै के प्याले, चलते हैं मार धक्के।
क्या क्या ”नज़ीर“ हम भी करते हैं अब झमक्के।
अब भी हमारे आगे यारो! जवान क्या है॥10॥

शब्दार्थ
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