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बुद्धिजीवी का वक्तव्य / रघुवीर सहाय

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मरने की इच्छा समर्थ की इच्छा है
असहाय जीना चाहता है।
आओ सब मिलकर उसे बस जीवित रखें

सब नष्ट हो जाने की कल्पना
शासक की इच्छा है
आओ हम सब मिलकर
उसे छोड़ बाक़ी सब नष्ट करें

सुन्दर है सर्वनाश
वही सर्वहारा के कष्टों को सार्थक करता है
और हमारे कष्टों को मनोरंजक भी