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बेकल-1 / नंदकिशोर आचार्य
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हरा जो नहीं है
यह नहीं कि खिलता नहीं है
मरुथल
हर इक बगूले में खिलती है
बेकली उस की—
पेड़ हो रेत का जैसे
भटकता हुआ
हरा होना मरुथल का नहीं
बारिश का खिल आना है
मरुथल माध्यम है केवल
बारिश के हरे होने के लिए
बेकल !
—
24 मार्च 2010