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बेटियों को समर्पित / हेमा पाण्डेय
Kavita Kosh से
बेटियाँ न हो तो,
हर त्यौहार सूना है।
धरा से लेकर, सारा
आसमान भी सूना है।
नन्हे कदमों की आहट से,
दिल मेरा धड़कता था।
तेरी पायल की रुनझुन से,
मधुर संगीत बजता था।
तुझे लेकर मैने, अपनी,
दुनिया ही बना डाली।
समय के साथ चलकर के,
एक दुनियाँ सजा डाली।
आये कोई भी त्योहार,
या कोई हो शादी, ब्याह।
रौनक होती है तुझसे ही,
मस्त पवन जैसी दरकार।
पढ़ लिख कर तू बड़ी हो गई,
आत्मनिर्भर की ली चादर ओढ़।
बनी सहारा न सिर्फ़ अपनी,
दिया सहारा औरो को।
शहनाई की गुज में तूने,
एक इतिहास बना डाला।
सफल वैवाहिक जीवन देकर,
नया संसार सजा डाला।