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बेटी चन्नण दे ओले ओले क्यों खड़ी / पंजाबी

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

बेटी चन्नण दे ओले ओले क्यों खड़ी,
नी जाईये, चन्नण दे ओले ओले क्यों खड़ी,
मैं तां खड़ी सां बाबल जी दे पास,
बाबलजी तों आस,
बाबल वर लोड़ीये,
नी बेटी कियो जया नी लाडो,
कियो जया वर लोडिये,
वे बाबल! ज्यों तारयाँ विचों चान,
चान्नां विच्चों कान्ह,
कन्हयिया वर लोडिये,
बेटी चन्नण दे ओले ओले क्यों खड़ी,
नी जाईये, चन्नण दे ओले ओले क्यों खड़ी,
मैं तां खड़ी सां भैया जी दे पास,
भैयाजी तों आस,
भैया वर लोडिये,
नी बहना कियो जया नी लाडो,
कियो जया वर लोडिये,
वे भैया, ज्यों तारयाँ विचों चान,
चान्नां विच्चों कान्ह
कन्हयिया वर लोडिये।
  
बेटी चन्नण दे ओले ओले क्यों खड़ी,
नी जाईये, चन्नण दे ओले ओले क्यों खड़ी,
मैं तां खड़ी सां चाचाजी दे पास,
चाचजी तों आस,
चाचा वर लोडिये,
नी बेटी कियो जया नी लाडो,
कियो जया वर लोडिये,
वे चाचा! ज्यों तारयाँ विचों चान,
चान्नां विच्चों कान्ह,
कन्हयिया वर लोडिये।
 
बेटी चन्नण दे ओले ओले क्यों खड़ी,
नी लाडो, चन्नण दे ओले ओले क्यों खड़ी,
मैं तां खड़ी सां मामाजी दे पास,
मामा जी तों आस,
मामा वर लोड़ीये,
नी बेटी कियो जया नी लाडो,
कियो जया वर लोडिये,
वे मामा ! ज्यों तारयाँ विचों चान,
चान्नां विच्चों कान्ह,
कन्हयिया वर लोडिये।