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बेटी है अनमोल नगीना / सुरजीत मान जलईया सिंह
Kavita Kosh से
बेटी जन्नत का दरवाजा
कैसे मैं बतलाऊँ तुम्हें
बेटी है अनमोल नगीना
कैसे मैं बतलाऊँ तुम्हें
बेटी घर की धूप छाँव है
बेटी पूनम का चदाँ
बेटी उगता सूरज है
कैसे मैं बतलाऊँ तुम्हें
बेटी गंगा यमुना है
बेटी दरिया सागर है
बेटी झरने के जैसी है
कैसे मैं बतलाऊँ तुम्हें
बेटी पर्वत माला सी
बेटी से कैलाश बना
बेटी शिखर हिमालय का
कैसे मैं बतलाऊँ तुम्हें
बेटी शबनम सी शीतल
बेटी जेठ दुपहरी सी
बेटी सावन भादों है
कैसे मैं बतलाऊँ तुम्हें
बेटी दुआ अमीना है
बेटी सज़दे बर्षो के
बेटी हज़ के जैसी है
कैसे मैं बतलाऊँ तुम्हें
बेटी गोकुल बरसाना
बेटी वृन्दावन जैसी
बेटी मथुरा काशी है
कैसे मैं बतलाऊँ तुम्हें…