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बैड-मिल्क / बालकृष्ण गर्ग
Kavita Kosh से
मिली एक दिन भैंस से, तो यों बोली गाय-
‘मुझको बिस्तर पर सुबह, रोज चाहिए चाय।
रोज चाहिए चाय, नहीं यदि मिले समय पर,
तबीयत रहती गिरी-गिरी-सी, दुखता है सर’।
कहा भैंस ने- ‘छोड़ ‘बैड-टी’, ‘मिल्क’ पिया कर,
अपना अगर न भाए, मेरा मँगा लिया कर’।
[नई दिल्ली पालिका समाचार, नवंबर-दिसंबर 1998]