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बैल बियावै, गैया बाँझ / 37 / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय

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जनता दरबार मेॅ
अपनोॅ-अपनोॅ शिकायत लै केॅ
कुछ जानवरो गेलै
वैठां ऊ सबकेॅ बतैलोॅ गेलै
ई आदमी लेली छेकै
जानवरोॅ लेली नै।
जानवरें कहलकै-
येठां तेॅ चारो दिश
जानवरे दिखावै छै
आदमी कहाँ छै?

अनुवाद:

जनता दरबार में
अपनी-अपनी शिकायत लेकर
कुछ जानवर भी गए
वहाँ उन्हें बताया गया
यह आदमी के लिए है
जानवरों के लिए नहीं
जानवरों ने कहा-
यहाँ तो चारो तरफ
जानवर ही दिखते हैं
आदमी कहाँ है?