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बैल बियावै, गैया बाँझ / 46 / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय

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विधिं
विधाता सेॅ पुछलकै
आदमी बनावै मेॅ
कथी के कमी रही गेलै?
विधातां कहलकै-
ओकरा तेॅ सद्गुण सम्पन्न बनैलियै
मतर
जबेॅ ऊ यहाँ सेॅ जाबेॅ लागलै
(चोरी, हिंसा, झूठ, फरेब आरो बलात्कारों केॅ)
आपनोॅ समझीकेॅ लेलेॅ गेलै।

अनुवाद:

विधि ने
विधाता से पूछा-
आदमी बनाने में
किसकी कमी रह गयी थी?
विधाता ने कहा-
उसे तो सद्गुण सम्पन्न बनाया
किंतु
जब वह यहाँ से जाने लगा
(चोरी, हिंसा, झूठ, फरेब और बलात्कार को भी)
अपना समझ कर साथ लेते गया।