भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
बोलणौ / दीनदयाल शर्मा
Kavita Kosh से
आपां
चायै करल्यां
बी.ए.
एम.ए.
एम.फिल
या पी.एचडी
पण
आपांनै बोलणौ
नीं आवै
सौ-पचास
लोगां रै बिचाळै
बोलणौ कद सिखासी
इस्कूलां में
बोलै जिकै रा
बिकै बोरिया
अर
बोलै जिकौ
राज करै।