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बौछार / रेखा
Kavita Kosh से
अचानक
उमड़-घुमड़ हो आई बहुत
कर ली सबने बंद
घर की सांकलें
माँ की चिरौरी से उकताई
डाँट से ढीठ बनी
शरारत कोई
ले आती है छत पर
सहसा
घेर लेती है आकर
ठंडी बौछार
ऐसा ही है तुम्हारा प्यार!