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भइया हम तो खेतिहर किसान / प्रदीप शुक्ल

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अब तीन पांच हम का जानी
भइया हम तो खेतिहर किसान!!

तुम हमरे बल पर दौरि रह्यो
हमही का आँख देखाय रह्यो
चाहै तुम वहिका डबल कहौ
गेहुंऐ की तो रोटी खाय रह्यो
जब हम तुम्हरे शहर आई
तुम नाक सिक्वारति हौ भईया
तुम ऐसे हम का हांकति हौ
जैसे हम हन तुमरी गईया
जो तुमका हम दुतकारि देई
कैसे बचिहैं तुमरे परान
भइया हम तो खेतिहर किसान

अब तीन पांच हम का जानी
भइया हम तो खेतिहर किसान!!

टी बी के अन्दर बैठ बैठ
बढ़िया बढ़िया बातै करिहौ
ऐसन लागी बस अबहीं तुम
हमरे पायन माँ सिरु धरिहौ
मौक़ा मिलतै तुम तो हमरे
पीठी माँ छूरा भोंकि देतु
बस हमरा नाम लगाय क तुम
अपनी ही रोटी सेंकि लेतु
हम तो गरीब मनई हमका
तुम काहे कीन्हे हौ परेशान
भइया हम तो खेतिहर किसान

अब तीन पांच हम का जानी
भइया हम तो खेतिहर किसान!!

जैसे चुनाव नजदीक आई
तुम पहिरि क खद्दर दौरि लिह्यो
दिन राति पैंलगी मारि रह्यो
तुम हमरे सथहै ज्योंरि रह्यो
हम जानिति चुनाव मा जीततै तुम
फिरि पांच बरस तक ना अइहौ
जो तुमका हम ना वोट दीन
तौ सबके समहे गरियइहौ
हमका समझावै क रहै देव
हम जानिति सब धंधा पुरान
भइया हम तो खेतिहर किसान

अब तीन पांच हम का जानी
भइया हम तो खेतिहर किसान!!

अब हमका बाबू माफ़ करौ
दिन चलै हमार ऐसई खराब
बड़का बहुरेवा क पीट रहा
जब ते आवा पीकै शराब
छोटकौनो सार फेल होइगा
लागति बुद्धी का म्वाट आय
बिटिया हमारि सब ते पियारि
वह तो लाखन माँ याक आय
दुई साल ते लरिका देखि रहेन
ढूँढ़ति ढूँढ़ति जिउ हलेकान
भइया हम तो खेतिहर किसान

अब तीन पांच हम का जानी
भइया हम तो खेतिहर किसान!!

अकिल म पाथर परिगे रहैं
जो मेला ते हम भैंसि लाएन
ब्वाझन करबी वह खाति रोजु
पर याकौ बार न वह बियान
चाहे वह थ्वारै दूधु देति
वहि ते अच्छी गईया हमारि
वहि कै महतारी लाय रहैं
काफी दिन भे बप्पा हमार
लागति है नाखावरि चली अबे
गइया अबकी बछिया बियान
भइया हम तो खेतिहर किसान

अब तीन पांच हम का जानी
भइया हम तो खेतिहर किसान!!

कचेहरी के चक्कर काटि काटि
होईगै हमारि हालत खराब
परधान ते मिलि भैवा हमार
बनवाईसि झूठी इन्तखाब
बिलरेवा दूधु गिराय दिहिसि
सुबहै ते चाय क तरसि रहेन
बेमतलब की बातन मा
हम घरवाली पर बरसि रहेन
अम्मा नब्बे के आस पास
दुई महिना ते खटिया पर हैं
दुई दिन ते अब जिउ बूड़ि रहा
जानै कहां अटके परान
भइया हम तो खेतिहर किसान

अब तीन पांच हम का जानी
भइया हम तो खेतिहर किसान!!