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भग्यानु कु ज्यू होली हरसौणी / ओम बधानी

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भग्यानु कु ज्यू होली हरसौणी
मै रूवायौं सदानी आज भि रूवौणी
य रात जुन्याळी मैक औंसि सि काळी

उद्यौ भि नि ह्वै घाम अंछळ्यै गई
खुलि भि नी रात काळि ह्वै गई
मेरू भाग बातुलि सि सदा फुकेणी ,
मै रूवायौं सदानी आज भि रूवौणी
य रात जुन्याळी मैकु औंसि सि काळी

उदंकार होंदु पर सूरज हरचिगे
बरखा कि आस करि बादळ उड़िगे
पणधारि आंख्यौंन चुंवाई चुवौणी,
मै रूवायौं सदानी आज भि रूवौणी
य रात जुन्याळी मैकु औंसि सि काळी

भाग म अभाग लिखैक ल्यायूं छ
विधाता कु भि द्वी हातुन् दिन्यूं छ
ब्वैन जु ग्यौं, त काटि कौणी ,
मै रूवायौं सदानी आज भि रूवौणी
य रात जुन्याळी मैकु औंसि सि काळी