भभकना / संतोष कुमार चतुर्वेदी
रोज की तरह ही उस दिन भी
सधे हाथों ने जलायी थी लालटेन
लेकिन पता नहीं कहाँ
रह गयी थोड़ी सी चूक
कि भभक उठी लालटेन
हो सकता है कि
किरासिन तेल से
लबालब भर गयी हो लालटेन की टंकी
हो सकता है कि
बत्ती जलाने के बाद
शीशा चढ़ाने में थोड़ी देर हो गयी हो
हो सकता है कि
एक अरसे से लापरवाही बरतने के कारण
खजाने में जम गयी हो
ढेर सारी मैल
यह भी संभव है कि
टंगना उठाते समय
हाथों को सूझी हो थोड़ी-सी चुहल
और आपे से बाहर होकर
भभक उठी हो लालटेन
हो सकता है कि
जब सही-सलामत जल गयी हो लालटेन
तो अन्धेरे को रोशनी से सींचने की
हमारी अकुताहट को ही
बरदाश्त न कर पायी हो
नाजुक-सी लालटेन
और घटित हो गया
भभकने का उपक्रम
दरअसल लालटेन का भभकना
जलने और बुझने के बीच की वह प्रक्रिया है
जिसके लिए कुछ भाषाओं ने तो
शब्द तक नहीं गढ़े
फिर भी घटित हो गयी वह प्रक्रिया
जो शब्दों की मोहताज नहीं होती कभी
जो गढ़ लेती है खुद ही अपनी भाषा
जो ईजाद कर लेती है
खुद ही अपनी परिभाषा
यह वह छटपटाहट थी
जो अनुष्ठान की तरह नहीं
बल्कि एक वाकये की तरह घटित हुई
अन्धेरे के खिलाफ बिगुल बजाती हुई
रोशनी को सही रास्ते पर
चलने के लिए सचेत करती हुई
और जब लोगों ने यह मान लिया
कि भभक कर आखिरकार
बुझ ही जायेगी लालटेन
अनुमानों को गलत साबित करती हुई
फैल गयी आग
समूचे लालटेन में
चनक गया शीशा
कई हिस्सों में
वैसे विशेषज्ञ यह उपाय बताते हैं
कि भभकती लालटेन को बुझा देना ही
श्रेयस्कर होता है
और भी तमाम उपाय
किये जाते हैं इस दुनिया में
भभकना रोकने खातिर
लेकिन तमाम सावधानियों के बाद भी
किसी उपेक्षा
या किसी असावधानी से
भभक उठती है लालटेन
अपनी बोली में
अपना रोष दर्ज कराने के लिए।