भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

भयानक बात / रॉक डाल्टन / मनोज पटेल

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मेरे आँसू तक
सूख चुके हैं अब तो

मैं, जिसे भरोसा था हर एक चीज़ में
हर किसी पर

मैं, जिसने, बस, थोड़ी सी नर्म-दिली चाही थी
जिसमें और कुछ नहीं लगता
सिवाय दिल के

मगर अब देर हो चुकी है
और अब नर्म-दिली ही काफ़ी नहीं रही

स्वाद लग गया है मुझे बारूद का ।
 
अँग्रेज़ी से अनुवाद मनोज पटेल

अब यही कविता मूल स्पानी भाषा में पढ़ें
(in the original Spanish)

Lo terrible
Por Roque Dalton
               
Mis lágrimas, hasta mis lágrimas
endurecieron.

Yo que creía en todo.

En todos.

Yo que sólo pedía un poco de ternura,
lo que no cuesta nada,
a no ser el corazón.

Ahora es tarde ya.

Ahora la ternura no basta.

He probado el sabor de la pólvora.