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भरोसा / प्रकाश
Kavita Kosh से
अंधेरे घने सन्नाटे में
डरकर मैंने उसे पुकारा
रात के क्षितिज से
किसी का कोई
उत्तर न आया
मैंने शक किया-
वह नहीं है
अगले ही क्षण सिहरा
बुदबुदाया- वह है
है- और कहीं से एक चिड़िया
बोल उठी।