भलाई करते चलो / संतोष कुमार सिंह
जन्म मानव का तुमको मिला साथियो,
काम कुछ तो भलाई के करते चलो।
जिन पथों में है पसरा अँधेरा अभी,
उन पथों में उजाले तो भरते चलो।।
राह पकड़ी गलत है जिन्होंने अभी।
वे साथी हैं प्यारे हमारे सभी।
वे बहके हुए हैं, वे भटके हुए,
फेंक देंगे करों से दुनाली अभी।।
राह दीखे उन्हें भी सही साथियो,
प्यार का एक दीपक तो धरते चलो।.........
दुःख देना ही देना जिन्हें भा रहा।
शूल बोकर बहुत ही मजा आ रहा।
हैं भोले-अनाड़ी न मालुम उन्हें,
ये जीवन का पथ है किधर जा रहा।।
जान जायेंगे सच,दिल में उनके अभी,
ज्ञान का एक दीपक तो बरते चलो।.......
पद ऊँचा मिला है तो इठला रहे।
धन भी ज्यादा मिला है तो इतरा रहे।
पर्दा मोटा पड़ा है न दिखता उन्हें,
मान, इज्जत, प्रतिष्ठा किधर जा रहे।।
गर्व भागे, दिखेगी सचाई उन्हें भी,
सामने एक दर्पण तो धरते चलो।........