हमें न सीरिया की ज़रूरत रहेगी
न लीबिया की ।
बजाय इसके
हमारे पास होगा
एक यूरो-अरब संघ
लंदन और वेटिकन सहित ।
ग़रीब जन खाया करेंगे
मीठे आलू,
वे चला करेंगे अकड़ कर,
उनके बच्चों को दिए जाएँगे
फ्रांसीसी नाम।
अपने बच्चों का नाम
‘शालता‘ रखने के बजाय
ग़रीब जन पुकारा करेंगे
उनको ‘ज्याँ‘ कहकर।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : राजेश चन्द्र