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भविष्यवाणी / रामनरेश पाठक
Kavita Kosh से
एक नीली वियद् गंगा
कार्यों और कारणों
समस्यायों और परिणामों के
समतोल पर अवस्थित है
एक अनाम असंज्ञेय मनःस्थिति
कुरेद रही है घटनाएँ
खंडित जिजीविषा के नाम पर
एक जिज्ञासा मुद्रित हो जाती है
समाचार पत्रों के शीर्ष पर और
करती रहती है भविष्यवाणियाँ
दो अरब चौंतीस करोड़ सत्तर लाख पचास हज़ार नौ सौ तीस वर्षों के निमित्त