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भादों की करि अँध्यारि / नागरीदास

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भादों की कारी अन्ध्यारी निसा झुकि बादर मंद फुही बरसावै .
स्यामा जू आपनी ऊची अटा पै छकी रसरीति मलारहि गावै .
ता समै मोहन के दृग दुरि तें आतुर रूप की भीख यों पावै.
पौन मया करि घूँघट टारै, दया करि दामिनि दीप दिखावै.