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भायला / नवनीत पाण्डे

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जद उणां सूंप्यो उणनै
मीठै पुरसारै रो धामो
बिचै री सैंग पंगतां डाकनै
वो पूग्यो ठेठ वीं पंगत
जठै उडीकै हा पुरसारै सारू उणरा
खासमखास भायला
भायला आखिर भायला हुवै
भायला नै बिसरायां किंया सरै
आडै वगत भायला ईज काम आवै
बडा बडा जीमणां में
भायला मिल जावै तो राम मिल जावै
भायला साथै जीमणै
अर
भायला नै जीमावणै में
खास आनंद आवै ।