भारत अपना देश / श्रीप्रसाद
भारत अपना देश, देश की माटी कितनी प्यारी
भारत बने महान, कामना रहती यही हमारी
भारत की थी शान, विश्व में सबने इसको माना
जब था देश महान, देश को सबने था पहचाना
बदला फिर इतिहास, दुखी फिर हुई धरा यह सारी
भारत अपना देश, देश की माटी कितनी प्यारी
सोने-चाँदी का भारत था, सचमुच ही धनवाला
पर्वत, नदियाँ, हरे खेत, वन, सब था यहाँ निराला
भारत अपना देश, देश की माटी कितनी प्यारी
रहे दबाते लोग देश को, फिर भी दबा न पाए
आखिर भारत के अपने दिन, पहले से फिर आए
जीत गई भारत की धरती, जो थी पहले हारी
भारत अपना देश, देश की माटी कितनी प्यारी
अब स्वतंत्र हैं हम, रहते हैं अपना सीना ताने
अब हम बढ़ते ही जाएँगे, ऐसा मन में ठाने
अपनी मेहनत से मेंटेंगे, हम सबकी लाचारी
भारत अपना देश, देश की माटी कितनी प्यारी
अपना खड़ा हिमालय हँसता, सूरज हँसता आता
तारे हँसकर रोज चमकते, चाँद हँसी बिखराता
कल-कल-कल लहरों में सागर, तान छेड़ता न्यारी
भारत अपना देश, देश की माटी कितनी प्यारी
भारत नाम याद आते ही, मन में खुशियाँ आतीं
चिड़ियाँ गातीं गीत, फूल खिलते, कलियाँ मुसकातीं
हवा झूमती, पेड़ नाचते, खुश हो बारी-बारी
भारत अपना देश, देश की माटी कितनी प्यारी