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भारत की पहचान है हिंदी / शशि पुरवार
Kavita Kosh से
भारत की पहचान है हिंदी
हर दिल का सम्मान है हिंदी।
जन जन की है मोहिनी भाषा
समरसता की खान है हिंदी।
छन्दों के रस में भीगी ए
गीत गजल की शान है हिंदी।
ढल जाती भावों में ऐसे
कविता का सोपान है हिंदी।
शब्दों का अनमोल है सागर
सब कवियों की जान है हिंदी।
सात सुरों का है ए संगम
मीठा सा मधुपान है हिंदी।
क्षुधा ह्रदय की मिट जाती है
देवों का वरदान है हिंदी।
वेदों की गाथा है समाहित
संस्कृति की धनवान है हिंदी।
गौरवशाली भाषा है यह
भाषाओं का ज्ञान है हिंदी।
भारत के जो रहने वाले
उन सबका अभिमान है हिंदी।