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भारत जैसा देश नहीं हैं / मधुसूदन साहा
Kavita Kosh से
सबसे सुंदर
सबसे बढ़कर
अनुपम और अजूबा।
भारत जैसा देश नहीं है
इस दुनिया में दूजा॥
सुबह सुनहली
किरणें आकर
खिड़की खोल जगाती,
मुंडेरे पर
चिड़िया सुर में
राग-प्रभाती गाती,
पीछे-पीछे भागा करता
मुर्गी के सँग चूजा।
भारत जैसा देश नहीं हैं
इस दुनिया में दूजा॥
सच्चे मन से
गले लगाकर
सबसे प्रेम जताते,
लेकिन जो भी
आंख्न दिखाता
उसको सबक सिखाते,
प्रगति पंथ पर हम बढ़ते है
करते श्रम की पूजा।
भारत जैसा देश नहीं है
इस दुनिया में दूजा।