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भारत भवन / पवन करण

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भारत के मालिक कोई और हैं जैसे,
भारत भवन के भी मालिक हैं कोई और

जिस तरह वोट देकर कोई
मालिक नहीं हो जाता भारत का
भारत भवन की पेटी में भी डालकर
अच्छा-अच्छा या बुरा-बुरा
आप मालिक नहीं हो सकते इसके

भारत के मालिकों की तरह
भारत भवन के मालिक शुरू से ही
मालिक हैं इसके, आप को लगता होगा
आप भी हो सकते हैं इसके मालिक

इसके मालिक के अलावा कोई और
नहीं हो सका इसका मालिक अब तक
इससे दूर रहकर भी इसके मालिक
इसके मालिक बने रहे
भारत के मालिक जैसे अपनी छायाएँ
छोड़ते जाते हैं अपनी शक़्ल में
भारत भवन में भी कुछ शक्लों ने
मालिक की छाया ओढ़ ली ख़ुद पर

छायाएँ जो अपनी नाक पर चश्मा चढ़ाए
कृष्ण-पक्ष होते हुए भी, ख़ुद को
शुक्ल-पक्ष बतातीं इसका, इसके
बहिरंग-अन्तरंग में मिलेंगी विचरतीं

जिस तरह भारत के गुस्से से
भारत के मालिकों की पहचान नहीं
भारत भवन के मालिकों को भी
भारत भवन की घुटन नहीं सताती