भाषण दो! भई, भाषण दो!! / गोपालप्रसाद व्यास
यदि दर्द पेट में होता हो
या नन्हा-मुन्ना रोता हो
या आँखों की बीमारी हो
अथवा चढ़ रही तिजारी हो
तो नहीं डाक्टरों पर जाओ
वैद्यों से अरे न टकराओ
है सब रोगों की एक दवा-
भई, भाषण दो! भई, भाषण दो!!
हर गली, सड़क, चौराहे पर
भाषण की गंगा बहती है,
हर एक समझदार नर-नारी के
कानों में कहती रहती है-
मत पुण्य करो, मत पाप करो,
मत राम-नाम का जाप करो,
कम-से-कम दिन में एक बार-
भई, भाषण दो! भई, भाषण दो!!
भाषण देने से सुनो, स्वयं
नदियों पर पुल बंध जाएंगे
बंध जाएंगे बीसियों बाँध
ऊसर हजार उग आएंगे।
तुम शब्द-शक्ति के इस महत्व को
मत विद्युत से कम समझो।
भाषण का बटन दबाते ही
बादल पानी बरसाएंगे।
इसलिए न मैला चाम करो
दिन-भर-प्यारे, आराम करो!
संध्या को भोजन से पहले
छोड़ो अपने कपड़े मैले,
तन को संवार, मन को उभार
कुछ नए शब्द लेकर उधार
प्रत्येक विषय पर आँख मूंद-
भई, भाषण दो! भई भाषण दो!!