भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

भाषा अकेली कभी नहीं गिरती / कुंदन सिद्धार्थ

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

भाषा गिरती है
मनुष्य गिर जाता है

भाषा अकेली नहीं गिरती
उसके साथ गिर जाती है
मनुष्यता की समूची विरासत

कहते हैं कवि नरेश सक्सेना
चीज़ों के गिरने के नियम होते हैं
मनुष्यों के गिरने के
कोई नियम नहीं होते

कविवर मिलें तो पूछूँ
कि मनुष्यों के गिरने के
भले कोई नियम नहीं होते
भाषा के गिरने के नियम
जरूर होते होंगे

कहीं ऐसा तो नहीं
कि जब मनुष्य गिर जाता है
तो गिर जाती है भाषा?

क्योंकि
भाषा अकेली
कभी नहीं गिरती