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भीड़ / उमा शंकर सिंह परमार
Kavita Kosh से
वह अकेला
ख़ामोशी ओढ़े गुमसुम
खो गया भीड़ मे
राजपथ, जनपथ, जन्तर-मन्तर
पट गया भीड़ से
न विवाद न संवाद
न विनाश न आबाद
चिकटा फटा काँच पहने
अधनंगा, गुमशुदा ’रामराज’
कराहता दिखा भीड़ में