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भीड़ के बीच गुज़र जाने की कूव्वत रख ले / प्रेमचंद सहजवाला
Kavita Kosh से
भीड़ के बीच गुज़र जाने की कूव्वत रख ले
हादसों से भी निकल आने जुर्रत रख ले
भीड़ के टुकड़ों में इक टुकड़े का हिस्सा बन जा
अपनी तन्हाई से इतनी तो बगावत रख ले
तू न यूं पूछ कि आखिर ये शहर किस का है
हर बशर के लिये बस दिल में अकीदत रख ले