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भूल्या बिसरया भाईडां ने / तन सिंह
Kavita Kosh से
भूल्या बिसरया भाईडां ने आज लवना लागी रे
जागी रे जागी जागी दिवळे री जोत जागी रे
बरसां सूं पतंगो आयो पांवणो
समदर रै किनारे मेळो चालै नी पतंगा रे
सुणीजै भागीरथ आया घरां आई गंगा रे
बांटां रे घट-घट मे चानणो
आज म्हारै मनडे रो सौवणो मोर नाच्यो रे
परभातां री प्रीत रो रळियाणो रंग राच्यो रे
फ़ूलां सूं छायोडो म्हारो आंगणो
तकदीरां रा आंझा दिन आंगळियां गिणीजै रे
सतियां रा सन्देशा महारै गीतां मे सुणीजै रे
नीठै सूं आयो रे महानै जीवणो
खेती महांरी ऊधडी है थांरी रखवाळी रे
जगदम्बा माता म्हे थांरै भरोसै रा हाळी रे
काळां मे करजो रे मत्ती रीसणो |
15 नवम्बर 1965