भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

भेद / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

पिल्लू नें
पिल्लनी सें कहलकै
आदमी बाहर सें
साफ-सुथरा दिखाय पड़ै छै
मुदा ओकरोॅ मन तेॅ कीचड़ छेकै
पिल्लू सिनी के गढ़ छेकै।