भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

भोलू हाथी / लक्ष्मीशंकर वाजपेयी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

चींटी के बच्चे ने देखा
नन्हा भोलू हाथी,
सोचा उसने, चलो बनाएँ
इसको अपना साथी।
बोला क्यों फिर रहे अकेले
प्यारे हाथी भाई,
आओ हम तुम दोनों मिलकर
खेलें छुपम-छुपाई!
भोलू बोला मन तो करता
खेलें मौज मनाएँ,
लेकिन मैं डरता हूँ,
बाहर मम्मी ना आ जाएँ।
चींटी का बच्चा बोला
तुम तनिक नहीं घबराना,
मम्मी के आते ही-
बस मेरे पीछे छुप जाना!