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भोले बादल नादान / सरोजिनी कुलश्रेष्ठ
Kavita Kosh से
ओ! भोले बालक नादान।
विश्व की पावनतम मुस्कान॥
गुलाबी उषा कि मनुहार
मधुर मंगललय सुभ्र ललाम
विश्व फुलवारी के सुकुमार
सुमन हो सुंदर सोभ धाम।
प्रात: की प्रथम किरण द्युतिमान।
विश्व की पावनतम मुस्कान॥
मेघ की झरती मृदुल फुहार
इंद्र्धनुष के झिलमिल रंग
तुम्हीं भावों के अटपट बैन
लिपट सोते सपनों के संग।
तुम्हीं कोमल कविता के गान।
विश्व की पावनतम मुस्कान॥
विहंगों के मुखरित कलरव
तरल निर्झर के चंचल वेग
मनुज की मंजुल कोमल मूर्ति
तुम्ही भावों के हो उद्वेग।
वेणु की मधुर निराली तान।
विश्व की पावनतम मुस्कान॥
प्रकृती के मोहक रूप अनूप
चंद्र के हो स्वरूप साकार
सुधा सरिता कि लोल लहर
पूर्ण मानव के लघु आकार।
अखिल सुषमा के नव-नव प्राण।
विश्व की पावन्तम मुस्कान॥