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मंटू मामा पीबी ताड़ी / अमरेन्द्र

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मंटू मामा पीबी ताड़ी
हाँकेॅ लागलै मोटर गाड़ी ।
दाँया-बाँया सब कुछ छोड़ी
बीचे बीच सेॅ किल्ला तोड़ी
हैंडिल रहि-रहि घूमै छै
मंटू मामा झूमै छै ।
हैंडिल गेलै बगदी केॅ
आरो गाड़ी कबदी केॅ
तनटा जे दाँया झुकलै
बीच गढ़ैया मेॅ ढुकलै ।
गाड़ी भेलै चित्तचितांग
टुटलै मामा के दू टांग
मूँ मेॅ घुसलै कीचड़-कादोॅ
भर-भर गोबर केरोॅ लादोॅ ।
मामा बोलै गों-गों-गों
हुन्नें मोटर पों-पों-पों
मोटर ऊपर बनलै गामा
पिचका होय केॅ कानै मामा ।