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मंदार बोलै / सुप्रिया सिंह 'वीणा'

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युगोॅ-युगोॅ सें
बोललोॅ छै मंदार
मंदार आइयोॅ बोलै छै।
यहेॅ ई मंदार छेकै
जेकरोॅ जिŸाोॅ पत्थर पर
लिखलोॅ छै ऋषि वाणी
सनातन, जैन, बौद्ध धरमोॅ के
केकरोॅ-केकरोॅ नै पावन चरण
पड़लोॅ छै मंदारोॅ पर।
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संकीर्ण नीचोॅ ब्राहमण धरमोॅ के
आचरन से कुपित काला पहाड़ें
यही मंदारोॅ पर
आपनोॅ लाख-लाख लोगोॅ केे
खून सें सनलोॅ तलवार फेंकी केॅ
विष्णु गुफा में शांति लेली
प्रवेश करतें कहनें छेलै कि...
आवेॅ आरोॅ रक्त नै ...
पता नै काला पहाड़
कैन्हें आरोॅ कहाँ बिलाय गेलै ?
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यहेॅ छेकै ऊ मंदार
 जहाँ असुर मधु, कैटभ सें
भगवान विष्णु सौ-सौ बरस तांय
सत्य आरोॅ धरती मांय के
रक्षा लेली लड़लौ छेलै
आरोॅ वाहीं मंदारोॅ पर
राक्षस दुनोॅ के मारी कॅे
मधुसूदन नाम धारण करी कॅे
मंदारे के होय केॅ रहि गेलोॅ छेलै।
भगवानोॅ के मंदार अतन्हें
सजि गेलोॅ छेलै
कि मंदार छोड़ी के फेरू कांही नै गेलै।
आरोॅ हुनी अपना सें
विसकरमा केॅ आदेश देकेॅ
बालिसानगर नाम सें विशाल,
भव्य, मनोरम-नगर बसैलकै
जेकरा आय बौंसी के नामोंॅ सें
जानलोॅ जाय छै
मधुसूदन मंदिरोॅ में आइयोॅ तांय
भगवान विष्णु के निवास छै
बगलै में क्षीरसागर छै
जे चीर नदी के रूपोॅ में
आइयोॅ तांय बहि रहलोॅ छै।
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यहेॅ क्षीरसागर में शेषनाग के माथा पर
देवी लछमी साथें
हुनी शयन करै छेलै।
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मथानी बनी केॅ
सागर मथै के बात के नै जानै छै
जेकरा सें निकललोॅ छेलै नौॅ-नौॅ रतन
अमरित आरोॅ विषोॅ भी
यहेॅ विष पीबी केॅ
भगवान सदाशिव
नील कंठ महादेव होय गेलोॅ छेलै
है सब बात बोलै छै मंदार
ऐकरोॅ सबके गवाह छेकै मंदार
शक्तिपीठ छेकै मंदार
हे मंदार !
तोरे शिखर पर आबी केॅ
महावीर बुद्ध, विवेकानन्द तक केॅ
गियानोॅ के जोति मिललै
राम, परशुराम, कृष्ण के
अन्याय के खिलाफ लड़लोॅ गेलै
हर युद्ध रोॅ तोंय साक्षी छोॅ
आरोॅ जेना हुए तोंय जरूर बोललोॅ छोॅ
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आय कैन्हेॅ चुप छोॅ मंदार
विष रूप में आय भरत भूमि पर फैललोॅ छै
झूठ , फरेब, अन्याय, उत्पीड़न आरोॅ आतंक
हत्या, नारी अपमान, बलातकार
कोय-कोय नी जहर फैली गेलोॅ छै
यहाँँ तांय कि गद्दी पर बैठलोॅ
हर लोग
रामराज रोॅ सपना देखाय कॅे
जनतै कॅे लूटै में भिड़लोॅ छै
भ्रष्टाचार आम होय गेलोॅ छै
मंदार बोलतै
मंदार सच में बोलै छै
हम्मी तोंय मंदारोॅ के बोली केॅ
सुनी केॅ भी
नै सुनै छियै
हों...हों, मंदार बोलै छै।