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मखमल के पैबन्द / पंकज परिमल
Kavita Kosh से
लगने लगे टाट में झीने
मखमल के पैबन्द ।
इतने हैं पैबन्द
टाट का नाम-निशान ढका ।
मोल हज़ारों में था
लाए देकर 'एक टका'।।
टके-टके की किस्तें
अग्रिम हुण्डी लिखीं कई
हैं वसूलने वाले भी फिर
सभी चाक-चौबन्द ।।
थिगले-थिगले रेशम के
नीचे हैं टाट कहीं ।
हाट उठाकर ले आई है
सारे ठाठ यहीं ।।
माँगी हुई टूकड़ी खाकर
भरीं बजार डकार ।
हाथ नचनियों के नाचे, सज
नकली बाजूबन्द ।।