भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मच्छर राजा / महेश कटारे सुगम
Kavita Kosh से
मच्छर राजा - मच्छर राजा,
नहीं बजाओ अपना बाजा।
देखो मुझको सो जाने दो,
सपनों में अब खो जाने दो।
बन्द करो यह राग पुराना,
वही बेसुरा अपना गाना।
मच्छर भैया ज़िद तुम छोड़ो,
रीत पुरानी अपनी तोड़ो।
कौन बात है तुम्हें सताती,
नींद नहीं जो तुमको आती।
कहना मानो जाकर सोओ,
नींद कीमती यों मत खोओ।
मच्छर राजा - मच्छर राजा,
नहीं बजाओ अपना बाजा।